रामायण हिन्दू धर्म के सबसे पवित्र ग्रंथो में से एक होने के साथ एक अमूल्य सांस्कृतिक धरोहर भी है। हर हिन्दू परिवार में रामायण को घर के मंदिर में रखा जाता है और इस का पाठ किया जाता है।
हिन्दू धर्म में रामायण का पाठ करने के अनेकों लाभ बताए गए हैं। मान्यता है की जो भी मनुष्य रामायण का पाठ करता है वो जीवन्नोंपरंत धर्म के मार्ग पर चलता है और उस के जीवन में सकारात्मकता का प्रवेश होता है तथा नकारात्मकता नष्ट हो जाती है, आत्मविश्वास की प्राप्ति होती है और हरप्रकार के संकट दूर होते हैं।
रामायण सबसे पहले महर्षि वाल्मीकि द्वारा संस्कृत भाषा में लिखी गई जो “वाल्मीकि रामायण” के नाम से प्रसिद्ध है । उस के पश्चात तुलसीदासजी ने रामायण को अवधी में लिखा जो रामचरित मानस के नाम से प्रसिद्ध है । हालांकि रामचरितमानस की भाषा के बारे में विद्धान एकमत नहीं हैं, कोई इसे अवधि मानता है तो कोई भोजपुरी। तत् पश्चात अनेक विद्वानों ने रामायण को अनेक भाषाओं में अलग अलग नाम से लिखा।
आज के समय में महर्षि वाल्मीकि कृत रामायण को पढ़ना और समझना साधारण मनुष्य के लिए कठिन है क्योंकि यह संस्कृत में है जबकि रामचरित मानस को आम बोल चाल की भाषा में लिखा गया है।
रामायण को संस्कृत काव्य की भाषा में लिखा गया जिसमें सर्ग और श्लोक होते हैं, जबकि रामचरित मानस में दोहो और चौपाइयों है। रामायण में 24000 हजार श्लोक और 500 सर्ग है। रामचरित मानस में श्लोक संख्या 27 है, चौपाई संख्या 4608 है, दोहा 1074 है, सोरठा संख्या 207 है और 86 छन्द है।
आज कल की भाग दौड़ भरी दिनचर्या में व्यक्ति के पास इतना समय नहीं है की वो रामायण का प्रतिदिन पाठ कर सके क्योंकि यह काफ़ी बड़ा है । इसी समस्या के समाधान के लिए आज हम आप को एक ऐसे श्लोक के बारे में बता रहे हैं जिसे “एकश्लोकि रामायण” कहा जाता है । मान्यताओं के अनुसार इस के पाठ से सम्पूर्ण रामायण के पाठ करने के समान फल प्राप्त होता है।
॥ एकश्लोकि रामायणम् ॥
आदौ राम तपोवनादि गमनं, हत्वा मृगं कांचनम्।
वैदीहीहरणं जटायुमरणं, सुग्रीवसंभाषणम्।।
बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं, लंकापुरीदाहनम्।
पश्चाद् रावण कुम्भकर्ण हननम्, एतद्धि रामायणम्।।
भावार्थ :
एक बार श्री राम वनवास में गए | वहां उन्होंने स्वर्ण मृग का पीछा किया और उसका वध किया | इसी दौरान उनकी पत्नी वैदेही यानि सीता जी का रावण द्वारा हरण किया गया | उनकी रक्षा करते हुए पक्षिराज जटायु ने अपने प्राण गवाएं | श्रीराम की मित्रता सुग्रीव से हुई | उन्होंने उसके दुष्ट भाई बालि का वध किया | समुद्र पर पुल बनाकर पार किया | लंकापुरी का दहन हुआ | इसके पश्चात् रावण और कुम्भकरण का वध किया | यही पूरी रामायण की संक्षिप्त कहानी है |
मंत्र जाप की विधि
प्रात: काल और संध्या काल में सम्पूर्ण रूप से शुद्ध हो कर ही एक श्लोकि रामायण का पाठ करें।
एक श्लोकि रामायण का पाठ आप किसी भी दिन कर सकते हैं।
कहा जाता है कि एक श्लोकि रामायण का पाठ 108 बार नित्य नियम से करना चाहिए अपितु १०८ बार सम्भव न हो तो 7,14 या 21 बार भी पाठ किया जा सकता है।
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