गीता सनातन धर्म का पौराणिक और सभी ग्रंथो में सबसे सम्मानित ग्रंथ है। यह सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति की आधारशिला है। गीता में सम्पूर्ण वेदों का सार है । लोकप्रियता में गीता से बढ़कर कोई और ग्रंथ नहीं है। गीता वैसे तो हिन्दू धर्म का ग्रंथ है अपितु इसमें बतायी गयी सीख जाति व प्रांत से परे सम्पूर्ण मानव जाति का मार्गदर्शन करती है।
गीता जयंती कब मनायी जाती है?
सनातन धर्म के सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ के जन्म दिवस को गीता जयंती कहा जाता हैं। ब्रह्मपुराण के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत के युद्ध के दौरान अपने सखा अर्जुन को मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन गीता का उपदेश दिया था। इसीलिए प्रतिवर्ष इस दिन को गीता जयंती के रूप में मनाया जाता है।
श्रीमद्भागवत गीता
गीता का दूसरा नाम गीतोपनिषद है। श्रीमद्भागवत गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं, इन श्लोकों में कर्म, धर्म, कर्मफल, जन्म, मृत्यु, सत्य, असत्य आदि जीवन से जुड़े मूलभूत प्रश्नों के उत्तर मौजूद हैं।
भगवत गीता के सभी 18 अध्याय के नाम इस प्रकार है:
अध्याय 1: अर्जुनविषादयोगः – कुरुक्षेत्र के युद्धस्थल में सैन्यनिरीक्षण
अध्याय 2: साङ्ख्ययोगः – गीता का सार
अध्याय 3: कर्मयोगः – कर्मयोग
अध्याय 4: ज्ञानकर्मसंन्यासयोगः – दिव्य ज्ञान
अध्याय 5: कर्मसंन्यासयोगः – कर्मयोग-कृष्णभावनाभावित कर्म
अध्याय 6: आत्मसंयमयोगः – ध्यानयोग
अध्याय 7: ज्ञानविज्ञानयोगः – भगवद्ज्ञान
अध्याय 8: अक्षरब्रह्मयोगः – भगवत्प्राप्ति
अध्याय 9: राजविद्याराजगुह्ययोगः – परम गुह्य ज्ञान
अध्याय 10: विभूतियोगः – श्री भगवान् का ऐश्वर्य
अध्याय 11: विश्वरूपदर्शनयोगः – विराट रूप
अध्याय 12: भक्तियोगः – भक्तियोग
अध्याय 13: क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभागयोगः – प्रकृति, पुरुष तथा चेतना
अध्याय 14: गुणत्रयविभागयोगः – प्रकृति के तीन गुण
अध्याय 15: पुरुषोत्तमयोगः – पुरुषोत्तम योग
अध्याय 16: दैवासुरसम्पद्विभागयोगः – दैवी तथा आसुरी स्वभाव
अध्याय 17: श्रद्धात्रयविभागयोगः – श्रद्धा के विभाग
अध्याय 18: मोक्षसंन्यासयोगः – उपसंहार-संन्यास की सिद्धि
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गीता का महत्व
गीता के महत्व को शब्दों में वर्णन करना असम्भव है ।यह स्वय भगवान कृष्ण के मुखारविन्द से निकली है । स्वयं भगवान कृष्ण इसका महत्व बताते हुए कहते हैं- कि जो पुरुष प्रेमपूर्वक निष्काम भाव से भक्तों को पढ़ाएगा अर्थात् उनमें इसका प्रचार करेगा वह निश्चय ही मुझको (परमात्मा) प्राप्त होगा।
विश्व में ऐसा कोई धर्म नहीं है जिसमें किसी धर्म ग्रंथ की जयंती मनायी जाती है। हिन्दू धर्म ही एक ऐसा धर्म हैं जिसमे किसी ग्रन्थ की जयंती मनाई जाती हैं, इसका उद्देश्य मनुष्य में गीता के महत्व को जगाये रखना हैं। कलयुग में गीता ही एक ऐसा ग्रन्थ हैं जो मनुष्य को सही गलत का बोध करा सकता हैं।
गीता जयंती 2020
दिनांक : 25 दिसम्बर 2020
वार: शुक्रवार
वर्षगाँठ : 5157वी
बच्चों के लिए अति महत्वपूर्ण 10 संस्कृत के श्लोक व उनके अर्थ
गीता में दिया गया कुछ परम ज्ञान
- परिवर्तन ही संसार का नियम है।
- जो हुआ अच्छे के लिए हुआ। जो हो रहा है वो अच्छे के लिए हो रहा है और जो होगा वो भी अच्छे के लिए होगा।
- मनुष्य को कर्म कर्म करना चहिये, फल की चिंता नहीं।
- आत्मा अमर है, वो न जन्म लेती है और ना ही मरती है।
- मनुष्य खाली हाथ आया था और खाली हाथ ही जाएगा।
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