हिन्द मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव सर्वोच्च शक्तिमान है। प्राचीन धार्मिक शास्त्रों में शिव को भैरव या नटराज के रूप में एक उग्र देवता के रूप में भी वर्णित किया गया है। भारत देश में कश्मीर से कन्याकुमारी और सौराष्ट्र से लेकर असम तक, बुराइयों को नष्ट करने और मासूमों को बचाने वाले के रूप में उनकी अलग-अलग रूपों में पूजा की जाती है। भगवान शिव की अगर किसी पर कृपा हो जाये तो वह मनुष्य का जीवन फलीभूत हो जाता है और वो इस संसार के सारे ही सांसारिक सुख भोगता है। इसलिए शिवजी की कृपा पाने के लिए मनुष्य भोलेनाथ के मंदिरों के चक्कर लगता है।
हिन्दू शास्त्रों में भगवान शिव बहुत ही भोले माने गए हैं और वह अपने भक्तों द्वारा सच्चे मन से की गयी भक्ति से आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं। यही कारण है कि देश के इन 7 मंदिरों में कहते हैं कि यदि मनुष्य सच्चे और निश्छल भाव से शिव जी का दर्शन कर ले तो उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। तो आइए आपको बताएं ये प्रमुख 7 मंदिर कौन से हैं
केदारनाथ मंदिर
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में स्थित केदारनाथ का मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह चार धाम यात्रा में से भी एक माना जाता है। उत्तराखण्ड में बद्रीनाथ और केदारनाथ-ये दो प्रधान तीर्थ हैं, दोनो के दर्शन का बड़ा ही माहात्म्य है। मान्यता है कि जो व्यक्ति केदारनाथ के दर्शन किये बिना बद्रीनाथ की यात्रा करता है, उसकी यात्रा निष्फल हो जाती है। शास्त्रों लिखा है कि केदारनाथ सहित नर-नारायण-मूर्ति के दर्शन का फल समस्त पापों का नाश कर भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण करता है।
अमरनाथ गुफा
जम्मू-कश्मीर में स्थित अमरनाथ गुफा हिंदुओं का प्रमुख तीर्थ स्थल है और यहां दर्शन करना बहुत ही पुण्यदायी माना गया है। यह मंदिर एक गुफा के रूप स्थित है। पवित्र गुफा में बर्फ से प्राकृतिक शिवलिंग का निर्मित होना है। प्राकृतिक बर्फ से निर्मित होने के कारण इसे स्वयंभू बर्फ का शिवलिंग भी कहते हैं प्रतिवर्ष यह शिवलिंग लगभग 10 फुट ऊचा बनता है। आषाढ़ पूर्णिमा से शुरू होकर रक्षाबंधन तक पूरे सावन महीने में होने वाले पवित्र हिमलिंग दर्शन के लिए लाखो लोग यहां की यात्रा करते है। चन्द्रमा के घटने-बढ़ने के साथ-साथ इस बर्फ का आकार भी घटता-बढ़ता रहता है। श्रावण पूर्णिमा को यह अपने पूरे आकार में आ जाता है और अमावस्या तक धीरे-धीरे छोटा होता जाता है। शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव ने इसी गुफा में माता पार्वती को अमर कथा सुनाई थी।
सोमनाथ मंदिर
गुजरात के काठियावाड़ क्षेत्र में समुद्र के किनारे स्थित सोमनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों से एक है। यह ज्योतिर्लिंग भारत का ही नहीं अपितु विश्व का पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। सोमनाथ-ज्योतिर्लिंग की महिमा महाभारत, श्रीमद्भागवत तथा स्कंद पुराणादि में उल्लेखित है। चन्द्रदेव का एक नाम सोम भी है। उन्होंने भगवान शिव को ही अपना नाथ-स्वामी मानकर यहां तपस्या की थी इसीलिए इसका नाम ‘सोमनाथ’ हो गया।
ओंकारेश्वर मंदिर
ओंकारेश्वर मंदिर मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध शहर इंदौर के समीप खंडवा में नर्मदा के तट पर स्थित है। भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिंगों में ओमकारेश्वर मंदिर को प्रमुख शिव मंदिर में गिना जाता है। यह ज्योतिर्लिंग औंकार अर्थात ऊं का आकार लिए हुए है, इस कारण इसे ओंकारेश्वर नाम से जाना जाता है। चार धाम यात्रा के बाद यहां ओमारेश्वर महादेव का दर्शन करना जरूरी होता है, तभी चार धाम यात्रा का पुण्य मिलता है।
त्रयंबकेश्वर मंदिर
महाराष्ट्र में गोदावरी नदी के किनारे स्थित त्रयंबकेश्वर मंदिर हिंदुओं की आस्था का बड़ा केंद्र है। काले पत्थरों से बना ये मंदिर चमत्कारिक माना गया है। कहा जाता है कि भगवान शिव को गौतम ऋषि और गोदावरी नदी के आग्रह पर यहां ज्योतिर्लिंग रूप में विराजित होना पड़ा। इसी स्थान पर कालसर्प दोष निवारण हेतु पूजा की जाती है और मान्यता हैं यहां से शिवजी का कोई भक्त खाली हाथ नहीं लौटता।
दक्षेश्वर महादेव मंदिर
उत्तराखंड के हरिद्वार स्थित कनखल में दक्षेश्वर मंदिर अपनी आस्था और चमत्कार के लिए जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार ये वहीं मंदिर है जहां राजा दक्ष ने एक भव्य यज्ञ का आयोजन किया था, जिसमें सभी देवी-देवताओं, ऋषियों और संतों को तो आमंत्रित किया गया था परंतु भगवान शंकर को आमंत्रित नहीं किया गया था। मान्यता है कि जो व्यक्ति दक्षेश्वर महादेव स्थित शिवलिंग का जलाभिषेक करता है, उसे अन्य स्थान पर जल चढ़ाने से कई गुना अधिक फल प्राप्त होता है।
अरुणाचलेश्वर मंदिर
तमिलनाडु के तिरुवनमलाई जिले में शिव का अनूठा मंदिर है। अन्नामलाई पर्वत की तराई में स्थित इस मंदिर को अनामलार या अरुणाचलेश्वर शिव मंदिर कहा जाता है। यहां हर पूर्णिमा को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। खासतौर पर कार्तिक पूर्णिमा पर विशाल मेला लगता है। श्रद्धालु यहां अन्नामलाई पर्वत की 14 किलोमीटर लंबी परिक्रमा कर शिव से कल्याण की मन्नत मांगते हैं। माना जाता है कि यह शिव का विश्व में सबसे बड़ा मंदिर है। पौराणिक कथा के अनुसार एक बार ब्रह्माजी ने हंस का रूप धारण किया और शिवजी के शीर्ष को देखने के लिए उड़ान भरी। उसे देखने में असमर्थ रहने पर ब्रह्माजी ने एक केवड़े के पुष्प से, जो शिवजी के मुकुट से नीचे गिरा था, शिखर के बारे में पूछा। फूल ने कहा कि वह तो चालीस हजार साल से गिरा पड़ा है। ब्रह्माजी को लगा कि वे शीर्ष तक नहीं पहुंच पाएंगे, तब उन्होंने फूल को यह झूठी गवाही देने के लिए राजी कर लिया कि ब्रह्माजी ने शिवजी का शीर्ष देखा था। शिवजी इस धोखे पर गुस्सा हो गए और ब्रह्माजी को शाप दिया कि उनका कोई मंदिर धरती पर नहीं बनेगा। वहीं केवड़े के फूल को शाप दिया कि वह कभी भी शिव पूजा में इस्तेमाल नहीं होगा। मान्यता है कि जहां शिवजी ने ब्रह्माजी को शाप दिया था, वह स्थल तिरुवनमलाई है।
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