Navratri Vrat Parana 2022 – नवरात्रि के पर्व में व्रत के पारण का विशेष महत्व है पौराणिक ग्रंथ में नवरात्रि व्रत के पारण की विधि के बारे में बताया गया है। नवरात्रि व्रत का पारण नवमी तिथि समाप्त होने और दशमी तिथि प्रारंभ होने पर करना उत्तम बताया गया है। दशमी की तिथि में मां दुर्गा की प्रतिमा और जवारों का विसर्जन किया जाना चाहिए।
Navratri Vrat Parana – विसर्जन कैसे करें
“रूपं देहि यशो देहि भाग्यं भगवति देहि मे। पुत्रान् देहि धनं देहि सर्वान् कामांश्च देहि मे।
महिषघ्नि महामाये चामुण्डे मुण्डमालिनी।आयुरारोग्यमैश्वर्यं देहि देवि नमोस्तु ते।।”
इस मंत्र का पाठ करने के बाद विसर्जन की प्रक्रिया को आरंभ करना चाहिए। पूरी प्रक्रिया में शुभ मुहूर्त का भी ध्यान रखना चाहिए। विसर्जन के समय स्वच्छता के नियमों का भी पूर्ण पालन करना चाहिए। मां दुर्गा की प्रतिमा को हाथ जोड़कर बहुत ही भक्तिभाव के साथ चावल, पुष्प, फल और मिष्ठान के साथ विसर्जन करना चाहिए।
हाथ में चावल और फूल लेकर जवारे का इस मंत्र के साथ विसर्जन करें-
“गच्छ गच्छ सुरश्रेष्ठे स्वस्थानं परमेश्वरि। पूजाराधनकाले च पुनरागमनाय च।।”
मां की प्रतिमा का विसर्जन करने के बाद जवारों को परिवार और मित्रों को सहृदय भेंट करना चाहिए। इन्हें फेंकना नहीं चाहिए। इन जवारों को शुद्ध स्थान पर रखना चाहिए। जिस पात्र में भी जवारे बोए गए हों, उसे इन नौ दिनों में उपयोग की गई पूजन सामग्री के साथ श्रृद्धापूर्वक विसर्जन कर देना चाहिए।
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