गायत्री मंत्र (Gayatri Mantra) से सभी सनातनी जन भली-भांती परिचित होते हैं। हमें बचपन के दिनों से ही इस मन्त्र का जाप शुरू करवा दिया जाता है और जीवन के अंतिम पड़ाव ‘बुढ़ापे’ तक यह जप चलता रहता है। हिन्दू धर्म का सबसे सरल मन्त्र यही है और वेदों में इस मन्त्र को ईश्वर की प्राप्ति का मन्त्र बताया गया है।
गायत्री मंत्र इस प्रकार है-
गायत्री मन्त्र का शाब्दिक अर्थ
ॐ – सर्वरक्षक परमात्मा
भू: – प्राणों से प्यारा
भुव: – दुख विनाशक
स्व: – सुखस्वरूप है
तत् -उस
सवितु: – उत्पादक, प्रकाशक, प्रेरक
वरेण्य – वरने योग्य
भुर्ग: – शुद्ध विज्ञान स्वरूप का
देवस्य – देव के
धीमहि – हम ध्यान करें
धियो – बुद्धियों को
य: – जो
न: – हमारी
प्रचोदयात – शुभ कार्यों में प्रेरित करें।
भावार्थ : उस सर्वरक्षक प्राणों से प्यारे, दु:खनाशक, सुखस्वरूप श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अंतरात्मा में धारण करें तथा वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग की ओर प्रेरित करें।
गायत्री मंत्र का जाप किस समय करना चाहिए?
गायत्री मंत्र वेदों में सर्वश्रेष्ठ मंत्र है। इस मंत्र के जप के लिए तीन समय बताए गये है। गायत्री मंत्र के जप के लिए पहला समय प्रात:काल है। इस मंत्र के जप के लिए दूसरा समय दोपहर मध्यान्ह का है। दोपहर में भी इस मंत्र का जप किया जाता है। तीसरा समय सूर्यास्त से कुछ देर पहले(गोधूलि बेला) में मंत्र का जप करना है। इन तीन समय के अतिरिक्त यदि गायत्री मंत्र का जप करना हो तो मौन रहकर जप करना चाहिए।
- यदि किसी व्यक्ति के व्यापार, नौकरी में हानि हो रही है या कार्य में सफलता नहीं मिलती है तो उन्हें गायत्री मंत्र का जप करना चाहिए।
- शुक्रवार को पीले वस्त्र पहनकर गायत्री माता का ध्यान कर गायत्री मंत्र के आगे और पीछे श्रीं सम्पुट लगाकर जप करने से दरिद्रता का नाश होता है।
- यदि किसी दंपत्ति को संतान नहीं है या संतान से दुखी है तो सुबह पति-पत्नी एक साथ सफेद वस्त्र धारण कर गायत्री मंत्र का जप करें।
- यदि किसी के विवाह में अनावश्यक देरी हो रही हो तो सोमवार को सुबह के समय पीले वस्त्र धारण कर माता पार्वती का ध्यान करते हुए एक सौ आठ बार जाप करने से विवाह कार्य में आने वाली समस्त बाधाएं दूर होती हैं।
Discussion about this post