हिन्दू संस्कृति में विवाह से पहले जन्म कुंडली मिलाना बहुत महत्वपूर्ण होता है। वर-वधू की कुंडली मिला कर गुण-दोष देखे जाते हैं और जाना जाता है की भविष्य में दोनो का वैवाहिक सफ़र कैसा रहेगा। इसी कुंडली मिलाने की प्रक्रिया में आप ने सुना होगा की लड़का या लड़की मांगलिक है और इस कारण शादी नहीं हो सकती। वहीं कुछ मान्यताओं के अनुसार अगर जातक की कुंडली में मांगलिक दोष है तो उस का विवाह मांगलिक के साथ ही होना चहिये वरना विवाह जीवनघाती हो सकता हैं।
क्या आप जानते हैं की मांगलिक दोष क्या होता है?और विवाह संस्कार में इतना महत्वपूर्ण क्यूँ है ?और अगर कुंडली में मांगलिक दोष है तो उसके निवारण के क्या उपाय हैं? आइये इस लेख में आप को यह विस्तार से बताते हैं ।
मांगलिक दोष क्या होता हैं और इसे कुंडली में कैसे जाने?
ज्योतिष अनुसार हर कुंडली में 12 भाव/स्थान होते हैं। ग्रहों की इन 12 भाव की स्थिति से जातक के गुण-दोष का पता लगता हैं। ऐसे ही कुंडली में मंगल ग्रह की स्थिति के आधार पर मांगलिक दोष निर्भर करता हैं।
जब जातक की कुंडली में मंगल पहले, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवें स्थान में हो तो जातक को मांगलिक दोष के ग्रसित माना जाता हैं। मंगल ग्रह की यह स्थिति दांपत्य जीवन के लिए अशुभ मानी जाती हैं। हालाँकि कुछ विद्वानों का मत है यदि मंगल पर किसी मित्र या शुभ ग्रह की दृष्टि पड़ती है तो मंगल दोष का प्रभाव कमजोर हो जाता हैं।
मांगलिक को शादी में परेशानी क्यों आती है ?
मंगल ग्रह को अत्यधिक ऊर्जावान ग्रह माना जाता है जिसे अकेला रहना पसंद है। यदि कोई अन्य ग्रह इसके समीप आता है तो इनके बीच में तालमेल का अभाव पाया जाता है इसी कारण जातक को वैवाहिक संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
मांगलिक दोष का प्रभाव
मंगल ग्रह को युद्ध का देवता भी कहा जाता हैं और इसकी प्रवृत्ति क्रोधी है। इस दोष के कारण जातक क्रोधी, लड़ाई झगड़ों या विवादों से युक्त रहता हैं।
मांगलिक जातक पर दोष के प्रभाव:
- विवाह में देरी होना।
- विवाह संबंध तय होने के बाद टूट जाना।
- विवाह में किसी प्रकार का विघ्न आना।
- शादी के बाद जीवनसाथी के साथ अनबन होना एवं संबंधों में खटास आना।
- वैवाहिक जीवन में काफी परेशानियां आती हैं।
- जातक बिना बात के क्रोध करने लगता है।
- मांगलिक दोष के प्रभाव में जातक क्रोधी, अहंकारी और झगड़ालू बनता है।
कुंडली में यह स्थितियां हैं तो नहीं होता मंगलदोष का प्रभाव
- वर-वधु दोनो मांगलिक हो और दूसरे के इन्ही स्थानों में सूर्य, शनि, राहू, केतु में से कोई एक ग्रह हो तो दोष नष्ट हो जाता है।
- शुभ ग्रहों का केंद्र में होना, शुक्र द्वितीय भाव में हो, गुरु मंगल साथ हों या मंगल पर गुरु की दृष्टि हो तो मांगलिक दोष का परिहार हो जाता है।
- मेष का मंगल लग्न में, वृष का सप्तम भाव में, धनु का द्वादश भाव में, वृश्चिक का चौथे भाव में और कुम्भ का आठवें भाव में हो तो दोष नहीं लगता।
- कुंडली में मंगल अगर अपनी राशि ( मेष, वृश्चिक) मूलत्रिकोण, उच्चराशि (मकर), मित्र राशि (सिंह, धनु, मीन) में हो तो दोष नहीं रहता है।
- कन्या राशि की कुंडली में गुरु यदि केंद्र या त्रिकोण में हो तो मांगलिक दोष नहीं लगता।
- वर की कुंडली में मंगल जिस भाव में बैठकर मांगलिक दोष बना रहा हो, वधू की कुंडली में उसी भाव में सूर्य, शनि अथवा राहु हो तो मांगलिक दोष का दमन हो जाता है।
- यदि 1,4,7,8,12 भावों में स्थित मंगल पर बलवान शुभ ग्रहों कि पूर्ण दृष्टि हो तो भी मांगलिक दोष नहीं लगता।
क्या 28 वर्ष के बाद मांगलिक दोष ख़त्म हो जाता हैं?
कुछ विद्वानों का मत है की यदि जातक २८ साल पूरे कर ले तो मांगलिक दोष का प्रभाव ख़त्म हो जाता है परंतु कई विद्वानों का मत है कि ये एक भ्रम हैं, पर २८वें वर्ष में मंगल शुभ फल जरुर प्रदान करते हैं लेकिन ये इस बात पर भी निर्भर करता है कि उसकी लेकिन ये भी इस बात पर निर्भर करता है कि उनकी नजर आपकी कुंडली में किस भाव पर हैं, इसके अलावा उनकी प्रत्यंतर दशा, अंतर दशा भी मायने रखती है।
मांगलिक दोष के उपाय
- पवनपुत्र हनुमान जी की आराधना करें। नियमित हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें।
- यदि किसी मांगलिक कन्या का विवाह इस दोष से रहित वर से होता है तो दोष निवारण हेतु मंगला गौरी और वट सावित्री का व्रत सौभाग्य प्रदान करने वाला है।
- यदि कोई मांगलिक जातक सामान्य ग्रह वाले व्यक्ति से विवाह करना चाहे तो ऐसी स्थिति में मांगलिक जातक को ‘पीपल’ विवाह, कुंभ विवाह, शालिग्राम विवाह तथा मंगल यंत्र का पूजन आदि करना चाहिए। इस उपाय से मंगल का दोष जातक पर से उतर जाता है।
- मंगल के लिए तीन मुखी रुद्राक्ष या मूंगा रत्न धारण करें।
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