ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 1 दिन, सूर्योदय से अगले दिन सूर्योदय तक माना जाता है। एक दिन में ३० मुहूर्त होते हैं। एक मुहूर्त 48 मिनट का होता है। इन मुहूर्त में ग्रहों की चाल से कुछ शुभ और अशुभ योग बनते हैं। शुभ मुहूर्त में कार्य करने से सफलता प्राप्त होती है।
शास्त्र के अनुसार इन मुहूर्त में एक ऐसी भी समय अवधि होती है जो भक्ति, ध्यान और अध्ययन के लिए सर्वोतम मानी गयी है। इस अवधि को शास्त्रों में ब्रह्म मुहूर्त कहा गया है। मान्यता है कि यह देवताओं के भ्रमण का समय होता है और इस अवधि में वायु में अमृत धारा प्रवाहित होती है।
ब्रह्म मुहूर्त कब होता हैं?
रात्रि के अंतिम प्रहर के तीसरे भाग का काल। सूर्योदय से 90 मिनट ( लगभग डेढ़ घंटा) पहले का समय ब्रह्म मुहूर्त कहलाता हैं। हमारी घड़ी के अनुसार प्रातः 4:24 से 5:12 का समय ब्रह्म मुहूर्त होता है।
ब्रह्म मुहूर्त का महत्व
ब्रह्म मुहूर्त का धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों तरह से बहुत महत्व है।
धार्मिक महत्व : मान्यता है कि यह समय देवताओं के भ्रमण का समय होता है और इस वक्त जागकर इष्ट या भगवान की पूजा, ध्यान और पवित्र कर्म करना बहुत शुभ होता है। इस समय किया गया ध्यान आपको ज्ञान, विवेक, शांति का उपहार प्रदान कराएगा। शास्त्रों के अनुसार ब्रह्म मुहूर्त में उठने के अनेक लाभ बताये गये हैं।
मनुस्मृति में उल्लेख है :
ब्रह्ममुहूर्ते या निद्रा सा पुण्यक्षयकारिणी।
(अथार्त : ब्रह्ममुहूर्त की निद्रा पुण्य का नाश करने वाली होती है।)
ऋग्वेद में कहा गया है:
प्रातारत्नं प्रातरिष्वा दधाति तं चिकित्वा प्रतिगृह्यनिधत्तो।
तेन प्रजां वर्धयुमान आय रायस्पोषेण सचेत सुवीर:॥
(अथार्त : सूर्योदय से पहले उठने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है, इस कारण समझदार लोग इस समय को व्यर्थ नहीं गंवाते। जो सुबह जल्दी उठते हैं वे स्वस्थ, सुखी, ताकतवार और दीर्घायु होते हैं।)
सामवेद में लिखा है :
यद्य सूर उदितोऽनागा मित्रोऽर्यमा। सुवाति सविता भग:॥
(अथार्त : सूर्योदय से पहले उठकर शौच व स्नानादि से निबट कर भगवान की पूजा अर्चना करनी चाहिये इस समय की शुद्ध और स्वच्छ हवा स्वास्थ्य, संपत्ति में वृद्धि करने वाली होती है।)
सिख धर्म में इस समय को अमृत वेला कहा गया हैं। इससे इस का महत्व स्वयं ही परिभाषित हो जाता है। ईश्वर भक्ति के लिए यह सर्वश्रेष्ठ समय है। इस समय उठने से मनुष्य को सौंदर्य, लक्ष्मी, बुद्धि, स्वास्थ्य आदि की प्राप्ति होती है। उसका मन शांत और तन पवित्र होता है।
पौराणिक महत्व: बाल्मीकि रामायण के अनुसार श्रीहनुमान ब्रह्ममुहूर्त में ही अशोक वाटिका पहुंचे। जहां उन्होंने वेद मंत्रो का पाठ करते माता सीता को सुना।
व्यावहारिक महत्व- व्यावहारिक रूप से अच्छी सेहत और ऊर्जा पाने के लिए ब्रह्म मुहूर्त सर्वोतम समय होता है। क्योंकि रात्रि की अच्छी निंद्रा के बाद शारीरिक और मानसिक थकान उतर जाती है और मन शांत और स्थिर होता है। वातावरण में वायु भी स्वच्छ होती है, ऐसे में देव उपासना, ध्यान, योग करने से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
वैज्ञानिक लाभ : इंटरनैशनल जर्नल ऑफ़ योग एंड एलाइड साइंसेज़ के अनुसार, इस भोर समय अवधि के दौरान वातावरण में आक्सीजन की उपलब्धता शुद्ध और अधिक होती है। या आक्सीजन आसानी से हीमोग्लोबिन के साथ मिल कर ऑक्सीहीमोग्लोबिन बनाता है जिससे निम्नलिखित लाभ होते हैं :
- प्रतिरक्षा प्रणाली मज़बूत होती है |
- ऊर्जा स्तर बढ़ता है |
- रक्त पी-एच के संतुलन बना रहता है |
- दर्द, खराश और ऐंठन से राहत होती है|
- खनिज और विटामिन के अवशोषण बढ़ता है |
ब्रह्म मुहूर्त में क्या न करें
शास्त्रों के अनुसार कुछ काम ऐसे हैं जिन्हें ब्रह्म मुहूर्त में करना वर्जित कहा गया है। जैसे कि, इस अवधि में नकारात्मक विचार न लायें, किसी से वाद-विवाद नहीं करना चाहिए। संभोग, नींद और भोजन के लिये भी यह समय उचित नहीं माना गया है।
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