Chhath Puja 2021 : छठ पर्व अपितु पूरे भारत में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है पर यह पर्व मुख्य रूप से उत्तर भारत में पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में बड़े धूमधाम से किया जाता है। छठ पर्व का प्रारंभ दो दिन पूर्व चतुर्थी तिथि को नहाय खाय से होता है, फिर पंचमी को लोहंडा और खरना होता है। उसके बाद षष्ठी तिथि को छठ पूजा होती है, जिसमें सूर्य देव को शाम का अर्घ्य अर्पित किया जाता है। इसके बाद अगले दिन सप्तमी को सूर्योदय के समय में उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं और फिर पारण करके व्रत को पूरा किया जाता है। तिथि के अनुसार, छठ पूजा 4 दिनों की होती है।
छठ पूजा के अन्य नाम
- छठी माई की पूजा,
- डाला छठ,
- सूर्य सस्थी,
- डाला पूजा छठ पर्व
छठ पूजा की कथा ( Legend of Chhath Puja)
छठ पर्व पर सूर्य देवता और छठी माता की पूजा की जाती है, जिसका उल्लेख ब्रह्मवैवर्त पुराण में भी मिलता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार प्रथम मनु स्वायम्भुव के पुत्र राजा प्रियव्रत को कोई संतान नहीं थी। इस वजह से वे हर समय दुःखी और चिंता में रहते थे। राजा प्रियव्रत को इस चिंता में देख महर्षि कश्यप ने उन्हें पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ करने की सलाह दी। महर्षि की आज्ञा अनुसार राजा ने यज्ञ कराया। इसके बाद महारानी मालिनी ने एक पुत्र को जन्म दिया लेकिन दुर्भाग्य से वह शिशु मृत पैदा हुआ। इस बात से राजा और अन्य परिजन बेहद दुःखी थे। तभी आकाश से एक विमान उतरा जिसमें माता षष्ठी विराजमान थीं। जब राजा ने उनसे प्रार्थना कि, तब उन्होंने अपना परिचय देते हुए कहा कि- मैं ब्रह्मा की मानस पुत्री षष्ठी हूं। मैं विश्व के सभी बालकों की रक्षा करती हूं और निःसंतानों को संतान प्राप्ति का वरदान देती हूं।” इसके बाद देवी ने मृत शिशु को हाथ लगाया, जिससे वह जीवित हो गया। देवी की इस कृपा से राजा बहुत प्रसन्न हुआ और उन्होंने षष्ठी देवी की आराधना की। ऐसी मान्यता है कि इसके बाद ही धीरे-धीरे हर ओर इस पूजा का प्रसार हो गया।
छठ पूजा सामग्री
बांस की 3 बड़ी टोकरी, बांस या पीतल के बने 3 सूप, थाली, दूध, ग्लास , चावल, लाल सिंदूर, दीपक, नारियल, हल्दी, गन्ना, सुथनी, सब्जी, शकरकंदी, नाशपती, बड़ा नींबू, शहद, पान, साबुत सुपारी, कैराव, कपूर, चंदन और मिठाई।
प्रसाद के रूप में ठेकुआ, मालपुआ, खीर-पुड़ी, सूजी का हलवा, चावल के बने लड्डू लें।
Chhath Puja 2021 की तिथियां
छठ पूजा चार दिनों तक चलने वाला पर्व है। यह चार दिवसीय उत्सव है, जिसकी शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से होती है और कार्तिक शुक्ल सप्तमी को इस पर्व का समापन होता है।
Chhath Puja 2021 पहला दिन: नहाय-खाय
यह छठ पूजा का पहला दिन होता है, इस दिन नहाय खाय होता है। नहाय खाय का अर्थ है इस दिन स्नान करने के बाद घर की साफ़ सफ़ाई की जाती है और इस पर्व में मन को तामसिक प्रवृत्ति से बचाने के लिए शाकाहारी भोजन किया जाता है। इस वर्ष नहाय-खाय 08 नवंबर 2021(सोमवार) को है। इस दिन सूर्योदय सुबह 06:38 बजे और सूर्योस्त शाम को 05:31 बजे पर होगा।
Chhath Puja 2021 दूसरा दिन: खरना
छठ पूजा का दूसरा दिन खरना होता है। यह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को होता है। इस दिन भक्त लगभग 8 से 12 घंटे की समयावधि के लिए व्रत का पालन करते हैं और सूर्य की पूजा के बाद शाम को व्रत तोड़ते हैं। इस दिन छठी माई के प्रसाद के लिए चावल, दूध के पकवान, ठेकुआ बनाया जाता है और साथ ही फल, सब्जियों से पूजा की जाती है. इस दिन गुड़ की खीर भी बनाई जाती है। इस वर्ष खरना 09 नवंबर 2021 दिन को है। इस दिन सूर्योदय सुबह 06:39 बजे पर होगा और सूर्योस्त शाम को 05:31 बजे पर होगा। Also read : Laabh Panchami 2021: लाभ पंचमी, जाने शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Chhath Puja 2021 तीसरा दिन- सन्ध्या अर्घ्य
यह छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को होता है। इस दिन ही छठ पूजा होती है। इस दिन प्रसाद तैयार करने ले पश्चात शाम को सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन भक्त शाम को जल में डुबकी लगाते है और सूर्य देव और छठ मइया की पूजा करते हैं। इस वर्ष छठ पूजा 10 नवंबर को है। इस दिन सूर्यादय 06:40 बजे पर होगा और सूर्योस्त 05:30 बजे पर होगा। छठपूजा के लिए षष्ठी तिथि का प्रारम्भ 09 नवंबर को 10:35 ए एम बजे से हो रहा है, जो 10 नवंबर को 08:25 ए एम बजे तक है।
Chhath Puja 2021 चौथा दिन- सूर्योदय अर्घ्य (पारण का दिन)
छठ पूजा का अंतिम दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को होती है। इस दिन सूर्योदय के समय सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित किया जाता है। उसके बाद पारण कर व्रत को पूरा किया जाता है। इस पर्व के अंतिम दिन भक्त अपने परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों के साथ घाटों पर पहुंचते हैं और उगते सूर्य को भोग अर्घ्य देते हैं। घाटों पर, भक्त अर्घ्य (अर्पण) के बाद छठी माई की पूजा करने के लिए अपने घुटनों के बल झुक जाते हैं। वे थेकुआ वितरित करते हैं और फिर घर पहुंचने के बाद अपना उपवास तोड़ते हैं। इस वर्ष छठ पूजा का सूर्योदय अर्घ्य तथा पारण 11 नवंबर को होगा। इस दिन सूर्योदय सुबह 06:40 बजे तथा सूर्योस्त शाम को 05:29 बजे होगा।
छठ पूजा का वैज्ञानिक महत्व
हम सभी को मालूम है कि सूर्य की किरणों से शरीर को विटामिन डी मिलता है और उगते सूर्य की किरणों के फायदेमंद और कुछ भी नहीं। इसीलिए सदियों से सूर्य नमस्कार को बहुत लाभकारी बताया गया। वहीं, प्रिज्म के सिद्धांत के मुताबिक सुबह की सूर्य की रोशनी से मिलने वाले विटामिन डी से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है और स्किन से जुड़ी सभी परेशानियां खत्म हो जाती हैं।
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