Ganesh Visarjan 2020: गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश जी की स्थापना पूरे देश में धूम-धाम से की जाएगी और १० दिन के गणेशोत्सव का आरम्भ हो जाएगा। इस वर्ष COVID-19 के कारण पंडालो ने श्रधालुओ की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उत्सव के दौरान ऑनलाइन दर्शन की व्यवस्था की है। यही नहीं, अधिकतर पंडालो में गणेश जी दस की बजाय डेढ़ दिन के लिए ही विराजेंगे।
गणेशोत्सव में गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश जी की स्थापना का जितना महत्व है उतना ही भगवान गणेश जी के विसर्जन को महत्व दिया जाता है। भक्त जन भगवान गणेश जी को अपने घर डेढ़, तीन, पांच, सात या ग्यारह दिनों तक विराजित करते हैं और उनकी यथा शक्ति पूरे विधी विधान से पूजा करते हैं। उसके बाद भगवान गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन तिथि के अनुसार किया जाता है और प्रार्थना की जाती है की भगवान गणेश इसी तरह अगले साल भी आएं और सब को आशीर्वाद प्रदान करें।
गणेश विसर्जन की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार वेद व्यास जी ने लगातार दस दिनो तक भगवान गणेश जी को गणेश चतुर्थी से लेकर महाभारत तक की कथा सुनाई और गणेश जी इसे लगातार लिखा। दसवें दिन जब वेद व्यास जी ने अपने नेत्र खोले तो पाया कि गणेश जी का शरीर तप रहा है, जिसके बाद वेद व्यास जी ने पास के सरोवर के जल से गणेश जी के शरीर को ठंडा किया था। इसी वजह से चतुर्दशी के दिन जल में प्रवाहित किया जाता है।
गणेश विसर्जन तिथि एवं शुभ मुहूर्त
गणेशोत्सव का प्रारम्भ चतुर्थी तिथि से होता है एवं इसका समापन चतुर्दशी तिथि के दिन होता है। गणेश विसर्जन के लिए अनन्त चतुर्दशी तिथि सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है परंतु आज कल की भाग दौड़ भरी दिनचर्या में पूरे १० दिनो के लिए घर में विराजमान करना और उनकी पूरी विधी विधान से पूजा अर्चना करना आम इंसान के लिए मुश्किल है इसलिए लोंग अपने सामर्थ्य के अनुसार डेढ़, तीन, पांच, सात या ग्यारह दिनों तक विराजित करते हैं और उनकी यथा शक्ति पूरे विधी विधान से पूजा करते हैं। उसके बाद भगवान गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है
डेढ़ दिन के बाद गणेश विसर्जन
एक और आधा दिन (डेढ़ दिन) के बाद गणेश विसर्जन रविवार, अगस्त 23, 2020 को
गणेश विसर्जन के लिए शुभ चौघड़िया मुहूर्त
अपराह्न मुहूर्त (शुभ) – 02:01 पी एम से 03:38 पी एम
सायाह्न मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) – 06:52 पी एम से 11:01 पी एम
रात्रि मुहूर्त (लाभ) – 01:47 ए एम से 03:09 ए एम, अगस्त 24
उषाकाल मुहूर्त (शुभ) – 04:32 ए एम से 05:55 ए एम, अगस्त 24
तीसरे दिन गणेश विसर्जन
तीसरे दिन गणेश विसर्जन सोमवार, अगस्त 24, 2020 को
गणेश विसर्जन के लिए शुभ चौघड़िया मुहूर्त
प्रातः मुहूर्त (अमृत) – 05:55 ए एम से 07:32 ए एम
प्रातः मुहूर्त (शुभ) – 09:09 ए एम से 10:46 ए एम
अपराह्न मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) – 02:00 पी एम से 06:51 पी एम
सायाह्न मुहूर्त (चर) – 06:51 पी एम से 08:14 पी एम
रात्रि मुहूर्त (लाभ) – 11:00 पी एम से 12:23 ए एम, अगस्त 25
पांचवे दिन गणेश विसर्जन
पांचवें दिन गणेश विसर्जन बुधवार, अगस्त 26, 2020 को
गणेश विसर्जन के लिए शुभ चौघड़िया मुहूर्त
प्रातः मुहूर्त (शुभ) – 10:46 ए एम से 12:23 पी एम
अपराह्न मुहूर्त (चर, लाभ) – 03:36 पी एम से 06:49 पी एम
सायाह्न मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) – 08:12 पी एम से 12:23 ए एम, अगस्त 27
उषाकाल मुहूर्त (लाभ) – 03:10 ए एम से 04:33 ए एम, अगस्त 27
प्रातः मुहूर्त (लाभ, अमृत) – 05:56 ए एम से 09:09 ए एम
सातवे दिन गणेश विसर्जन
सातवें दिन गणेश विसर्जन शुक्रवार, अगस्त 28, 2020 को
गणेश विसर्जन के लिए शुभ चौघड़िया मुहूर्त
प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) – 05:57 ए एम से 10:46 ए एम
अपराह्न मुहूर्त (चर) – 05:11 पी एम से 06:47 पी एम
अपराह्न मुहूर्त (शुभ) – 12:22 पी एम से 01:58 पी एम
रात्रि मुहूर्त (लाभ) – 09:35 पी एम से 10:58 पी एम
रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) – 12:22 ए एम से 04:34 ए एम, अगस्त 29
अनन्त चतुर्दशी पर गणेश जी का विसर्जन
अनन्त चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन मंगलवार, सितम्बर 1, 2020 को
गणेश विसर्जन के लिए शुभ चौघड़िया मुहूर्त
प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) – 09:10 ए एम से 01:56 पी एम
अपराह्न मुहूर्त (शुभ) – 03:32 पी एम से 05:07 पी एम
सायाह्न मुहूर्त (लाभ) – 08:07 पी एम से 09:32 पी एम
रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) – 10:56 पी एम से 03:10 ए एम, सितम्बर 02
चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ – अगस्त 31, 2020 को 08:48 ए एम बजे
चतुर्दशी तिथि समाप्त – सितम्बर 01, 2020 को 09:38 ए एम बजे
गणेश विसर्जन पूजा विधि
1. विसर्जन से पहले उनका तिलक किया जाता है।
2. उसके बाद उन्हें फूलों का हार, फल, फूल,मोदक लड्डू आदि चढ़ाए जाते हैं।
3.इसके बाद भगवान गणेश के मंत्रों का उच्चारण किया जाता है और उनकी आरती उतारी जाती है।
4. उपर्युक्त प्रकार पूजा करने के बाद, पूजा में उपस्थित सभी बालक-पुरुष-महिलाएँ अपने हाथों में पुष्प लेकर भगवान गणेश, महा-लक्ष्मी, महा-काली, महा-सरस्वती, कुबेर की जय-जयकार बोलें तथा छोटे-बड़े के क्रम से उनके सम्मुख पुष्प अर्पित करते हुए दण्डवत् प्रणाम करें।
5.भगवान गणेश को पूजा में जो भी सामग्री चढ़ाई जाती है। उसे एक पोटली में बांध लिया जाता है। 6. इस पोटली में सभी सामग्री के साथ एक सिक्का भी रखा जाता है और उसके बाद गणेश जी का विसर्जन कर दिया जाता है। भगवान गणेश के विसर्जन के साथ ही इस पोटली को भी बहा दिया जाता है।
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