हिन्दू धर्म में नवरात्र का अत्यधिक महत्व है। इन नौ दिनो में भक्त मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की आराधना करते हैं। देवी भागवत में चार प्रकार के नवरात्रि का उल्लेख है। शरद नवरात्रि(Sharadiya Navratri), चैत्र नवरात्रि(Chaitra Navratri),माघ नवरात्रि(Magh Gupt Navratri) और आषाढ़ (Ashadh Gupt Navratri)। शारदीय और चैत्र नवरात्रि को हर कोई व्यापक रूप से मनाता है जबकि माघ नवरात्रि और आषाढ़ नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि के रूप में जाना जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, माघ गुप्त नवरात्रि जनवरी-फरवरी महीने में मनाई जाती है। जबकि आषाढ़ गुप्त नवरात्र जून-जुलाई के महीने में आते हैं। माघ नवरात्री उत्तरी भारत में अधिक प्रसिद्ध है जबकि आषाढ़ नवरात्रि मुख्य रूप से दक्षिणी भारत में लोकप्रिय है।
मस्तक पर तिलक का दिन ओर रंग का असर
जैसे नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है, ठीक उसी प्रकार गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है। गुप्त नवरात्रि के दौरान गुप्त अनुष्ठान किए जाते हैं। गुप्त नवरात्रि विशेषकर तांत्रिक क्रियाएं, शक्ति साधना, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्त्व रखती है। इस दौरान देवी भगवती के साधक बेहद कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं। इस दौरान लोग लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करने का प्रयास करते हैं। मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की पूजा को जितना गुप्त रखा जाता है, उतना ही ज्यादा फल प्राप्त होता है।
गुप्त नवरात्रि के दौरान पूजे जाने वाली मां दुर्गा के विभिन्न रूप हैं-
- माँ कालिके
- तारा देवी
- त्रिपुर सुंदरी
- भुवनेश्वरी
- माता चित्रमस्ता
- त्रिपुर भैरवी
- माँ धूम्रवती
- माता बगलामुखी
- मातंगी
- कमला देवी
गुप्त नवरात्रि पूजा विधि (Gupt Navratri Puja Vidhi)
गुप्त नवरात्रि के दौरान पूजा की सबसे प्रसिद्ध विधि तांत्रिक विद्या है जिसमें धन, बुद्धि और समृद्धि प्राप्त करने के लिए देवी दुर्गा की आराधना शामिल है। ऐसा माना जाता है कि गुप्त नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा को शक्तिशाली मंत्र और गुप्त तंत्र विद्या व तांत्रिक साधनाओं के रूप में गुप्त पूजा की पेशकश की जाती है, जो भक्तों को सभी इच्छाओं और आशाओं को पूरा करने के लिए विशेष शक्तियां प्राप्त करने में मदद करती हैं। गुप्त नवरात्रि के दौरान तांत्रिक और अघोरी मां दुर्गा की आधी रात में पूजा करते हैं।
- सर्वप्रथम मां दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित की जाती है।
- इसके उपरांत मां को लाल रंग का सिंदूर और सुनहरे गोटे वाली चुनरी अर्पित की जाती है।
- इसके बाद मां के चरणों में पानी वाला नारियल, केले, सेब, खील, बताशे और श्रृंगार का सामान अर्पित किया जाता है।
- मां दुर्गा को लाल पुष्प चढ़ाना शुभ माना जाता है।
- सरसों के तेल से दीपक जलाकर ‘ॐ दुं दुर्गायै नमः’ मंत्र का जाप करना चाहिए।
गुप्त नवरात्रि 2021 तिथि (Gupt Navratri 2021)
नवरात्रि प्रारम्भ – 12 फरवरी 2021 दिन शुक्रवार
नवरात्रि समाप्त – 21 फरवरी 2021 दिन रविवार
घटस्थापना मुहूर्त – सुबह 08:34 ए एम से 09:59 ए एम तक।
(अवधि – 01 घण्टा 25 मिनट्स)
घटस्थापना अभिजित मुहूर्त – दोपहर 12:13 पी एम से 12:58 पी एम तक ।
(अवधि – 44 मिनट्स)
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