गुरु गोबिंद सिंह (1666-1708 C.E.) सिख गुरुओं में से दसवें गुरु थे। उनका जन्म बिहार के पटना में 22 दिसंबर, 1666 को जूलियन कैलेंडर के अनुसार हुआ था। हिंदू कैलेंडर के अनुसार गुरु गोबिंद सिंह जी(Guru Gobind Singh) के जन्म के समय पौष माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 1723 विक्रम संवत था।
आज 20 जनवरी 2021 को सिखों के 10वें गुरु श्री गुरु गोविन्द सिंह जी की 354वीं जयंती मनायी जा रही है। उन्होंने साल 1699 में बैसाखी के दिन खालसा पंथ की स्थापना की थी। श्री गुरु गोविंद सिंह जी (Guru Gobind Singh) ने त्याग और बलिदान का जो अध्याय लिखा वो दुनिया के इतिहास में अमर हो गया। उनका पूरा जीवन त्यागपूर्ण रहा। उन्होंने अपना पूरा जीवन लोगों की सेवा में गुजार दिया। उनकी शिक्षाएं आज भी प्रेरणा प्रदान करती हैं। आज हम आपको गुरु गोबिंद सिंह जी के 11 मूल मंत्र बता रहे हैं जिनका हर मनुष्य को अनुसरण करना चहिये जिससे उसकी जिंदगी बेहतर हो सकती है।
- धरम दी किरत करनी: अपनी जीविका ईमानदारी पूर्वक काम करते हुए चलाएं
- गुरुबानी कंठ करनी: गुरुबानी को कंठस्थ कर लें।
- दसवंड देना: अपनी कमाई का दसवां हिस्सा दान में दे दें।
- कम करन विच दरीदार नहीं करना: काम में खूब मेहनत करें और पूरी ईमानदारी से करें।
- धन, जवानी, तै कुल जात दा अभिमान नै करना: अपनी जवानी, जाति और कुल धर्म को लेकर घमंड ना करें।
- बचन करकै पालना: अगर वादा करो तो उस को पूरा करो।
- दुश्मन नाल साम, दाम, भेद, आदिक उपाय वर्तने अते उपरांत युद्ध करना: दुश्मन से भिड़ने पर पहले साम, दाम, दंड और भेद का सहारा लें, और अंत में ही आमने-सामने के युद्ध में पड़ें।
- किसी दि निंदा, चुगली, अतै इर्खा नै करना: किसी की चुगली-निंदा से बचें और किसी से ईर्ष्या करने के बजाय मेहनत करें।
- परदेसी, लोरवान, दुखी, अपंग, मानुख दि यथाशक्त सेवा करनी: किसी भी विदेशी नागरिक, दुखी व्यक्ति, विकलांग व जरूरतमंद शख्स की मदद जरूर करें।
- शस्त्र विद्या अतै घोड़े दी सवारी दा अभ्यास करना: नियमित व्यायाम जरूर करें और खुद को सुरक्षित रखने के लिए शारीरिक सौष्ठव, हथियार चलाने और घुड़सवारी की अभ्यास जरूर करें।
- जगत-जूठ तंबाकू बिखिया दी तियाग करना: किसी भी तरह के नशे और तंबाकू का सेवन न करें।
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