हिन्दू धर्म में एकादशी (Ekadashi) धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण तिथि है। इस दिन के व्रत की बहुत मान्यता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक मास में 2 एकादशी होती है और एक वर्ष में 24 एकादशियाँ आती है परंतु जिस वर्ष अधिक मास होता है उस वर्ष इनकी संख्या 26 हो जाती है। वर्ष के प्रत्येक मास की दोनों एकादशियों को बहुत ही शुभ माना जाता है। माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी (Jaya Ekadashi) का भी अपना विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस एकादशी के उपवास से पिशाचों सा जीवन व्यतीत करने वाले पापी से पापी व्यक्ति को भी मोक्ष प्राप्ति होती हैं। माघ शुक्ल एकादशी को जया एकादशी कहा जाता है। आइये जानते हैं जया एकादशी (Jaya Ekadashi 2022) का महत्व, पूजा मुहूर्त ,पारण समय व पूजा विधि ।
जया एकादशी महत्व (Significance of Jaya Ekadashi)
पौराणिक कथा के अनुसार महाभारत के समय अर्जुन ने भगवान श्री कृष्ण इस एकादशी का महत्व पूछते हुए उनसे कहा “हे मुरलीधर! हे भगवन्! कृपा कर आप मुझे माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के सम्बंध मे विस्तारपूर्वक बताएं। शुक्ल पक्ष की एकादशी में किस देवता का पूजन करना चाहिए तथा इस एकादशी के व्रत के करने से किस फल की प्राप्ति होती है?”
एकादशी व्रत तिथि 2022
भगवान श्रीकृष्ण ने कहा- “हे कुंतिपुत्र! माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी कहते हैं। इस एकादशी के उपवास से मनुष्य भूत, प्रेत, पिशाच आदि की योनि से छूट जाता है और उसे जया एकादशी के उपवास के फलस्वरूप कुयोनि से सहज ही मुक्ति मिल जाती है। जो मनुष्य इस एकादशी का व्रत कर लेता है, उसने मानो सभी तप, यज्ञ, दान कर लिए हैं। जो मनुष्य श्रद्धापूर्वक जया एकादशी का व्रत करते हैं, वे अवश्य ही सहस्र वर्ष तक स्वर्ग में वास करते हैं।” अतः इस एकादशी के उपवास को विधि अनुसार करना चाहिए।“
जया एकादशी 2022(Jaya Ekadashi 2022)
दिनांक : 12 फरवरी 2022
वार : शनिवार
एकादशी तिथि प्रारम्भ : 11 फरवरी 2022 को 01:52 पी एम बजे
एकादशी तिथि समाप्त : 12 फरवरी 2022 को 04:27 पी एम बजे
पारण (व्रत तोड़ने की) तिथि : 13 फरवरी 2022
पारण (व्रत तोड़ने का) समय : सुबह 07:01 ए एम से 09:15 ए एम बजे तक
पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय : 06:42 पी एम बजे
एकादशी व्रत का पारण हरि वासर के दौरान भी नहीं करना चाहिए। जो श्रद्धालु व्रत रखते हैं उन्हें व्रत तोड़ने से पहले हरि वासर समाप्त होने की प्रतीक्षा करनी चाहिए। हरि वासर द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि होती है।
जया एकादशी व्रत विधि ( Vrat Vidhi of Jaya Ekadashi)
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और वंदना की जाती है। इस व्रत की पूजा विधि इस प्रकार है:
- जया एकादशी व्रत के लिए उपासक को व्रत से पूर्व दशमी के दिन एक ही समय सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए। व्रती को संयमित और ब्रह्मचार्य का पालन करना चाहिए।
- प्रात:काल ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेकर धूप, दीप, फल और पंचामृत आदि अर्पित करके भगवान विष्णु के श्री कृष्ण अवतार की पूजा करनी चाहिए।
- तुलसी की माला ले और पीले आसन पर बैठकर ॐ नमो भगवते श्रीगोविन्दाय मंत्र का एक माला जाप करें।
- रात्रि में जागरण कर श्री हरि के नाम के भजन करना चाहिए।
- द्वादशी के दिन किसी जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराकर, दान-दक्षिणा देकर व्रत का पारण करना चाहिये।
Also Read:
शिव पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदोष व्रत
स्कंद पुराण के अनुसार यहाँ है भगवान शिव की आरामगाह
Discussion about this post