ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गुरु यानि बृहस्पति ग्रह का सब ग्रहों में बहुत बड़ा स्थान है। बृहस्पति को सभी देवताओं का गुरु माना जाता है। गुरु को ही ज्ञान का दाता कहा गया है और इस की कृपा से ही बड़े बुजूर्गों का आशीर्वाद और वरिष्ठ अधिकारियों का सहयोग प्राप्त होता है।
ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति को धनु और मीन राशि का स्वामी कहा गया है और सूर्य, चंद्र व मंगल को इसका मित्र कहा गया है। वहीं शुक्र और बुध को इनका शत्रु माना गया है। देवताओं के गुरु बृहस्पति दिनांक 20 नवंबर 2020 शुक्रवार को दोपहर 1:23 बजे अपनी राशि “धनु” से निकलकर शनि देव की राशि “मकर” में प्रवेश किया। इस राशि में इनका नीच का प्रभाव रहेगा। ये लगभग वर्ष भर 20 नवंबर 2021 तक यहां रहेंगे। इस बीच में दिनाँक 6 अप्रैल 2021 से 14 सिंतबर 2021 तक “कुम्भ राशि” में गोचर करेंगे। आइये जानते है कि इस परिवर्तन का 12 राशियों पर कैसा असर पड़ेगा।
मेष राशि:
नीच राशि के गुरु दशमस्थ पर होने से धोखा मिलने के संकेत हैं। राज्य से परेशानी,स्थान परिवर्तन परंतु धनलाभ होता रहेगा। परिवार में परेशानी हो सकती है।
वृष राशि:
भाग्यस्थ पर गुरु होने के कारण कार्यों में सफलता मिलने के योग है। भूमि और वाहन आदि का सुख प्राप्त होगा। संतान सुख प्राप्त होगा। बुद्धि से लिये निर्णय सही सिद्ध होंगे।
मिथुन राशि:
अष्टमस्थ पर गुरु होने के कारण बनते हुए कार्यों में विघ्न हो सकता है। धन का अधिक खर्च होगा। घरेलू उलझने बने रहने से मानसिक तनाव रहेगा। अचानक धन प्राप्ति की संभावनाएँ रहेंगी।
कर्क राशि:
सप्तमस्थ पर नीच का गुरु होने के कारण गृहस्थ जीवन में परेशानी हो सकती है। परंतु अविवाहिक लोगों के लिए विवाह के योग भी बनेंगे। साझेदारी के काम मे अड़चने आएंगी, सावधान रहें।
सिंह राशि:
गुरु छठे भाव में होने के कारण आय अधिक एवं खर्च अधिक रहेगा। शत्रु से नुकसान होने की सम्भावना है सावधान रहें। घरेलू उलझने बढ़ सकती है। किसी बीमारी से सावधान रहने की आवश्यकता है, ध्यान रखें।
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कन्या राशि:
पंचमस्थ पर गुरु होने के कारण विद्या एवं कार्यों में सफलता,धार्मिक कार्यों में रुचि बढ़ेगी। स्वास्थ्य बेहतर रहेगा। वाहनादि सुखों में वृध्दि होगी। किसी कार्य के लिए ऋण ले सकते हैं।
तुला राशि:
जन्म कुंडली में चतुर्थ स्थान में गुरु होने के के कारण वाहन संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। घरेलू कलह के कारण स्थान का परिवर्तन भी संभव है। किसी आवश्यक कार्य पर धन व्यय भी हो सकता है।
वृश्चिक राशि:
तृतीयस्थ पर गुरु होने के कारण अच्छा धन लाभ होगा। परंतु निकटतम भाई बंधु को शारीरिक कष्ट हो सकता है। विवाह के योग बनेंगे, भाग्य साथ देगा और लाभ के मार्ग प्रशस्त होंगे।
धनु राशि:
धन लाभ व उन्नति के अवसर प्राप्त होंगे। व्यपार में लाभ होगा। गतवर्ष किये गए कार्यों में सफलता प्राप्त होगी। धार्मिक कार्यों पर धन व्यय होगा।
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मकर राशि:
लगनस्थ पर नीच का गुरु होने के कारण पूज्य हैं। संघर्ष के बाद सफलता प्राप्त होगी। जीवन साथी के लिए ठीक रहेगा। कभी कभी वाद विवाद हो सकता है।संतान के लिए ठीक रहेगा।
कुम्भ राशि:
द्वादश स्थान पर गुरु होने के कारण धार्मिक कार्यों पर धन अधिक खर्च होगा और धार्मिक कार्यों में आस्था बढ़ेगी। व्यर्थ की भाग दौड़ से बचें। अनावश्यक खर्च से बचें।
मीन राशि:
नवीन कार्यों की योजना बनेगी।धन लाभ व भाग्य लाभ होगा, उन्नति होगी। प्रेम विवाह की संभावना बढ़ेंगी । बुद्धि की कार्यकुशलता से कार्य बनेगें। प्रेम संबंध से बचें।
गुरु के अशुभ फल को शांत करने के लिए करें दान। गुरु के शुभ फल को बढ़ाने के लिए ब्राह्मण को भोजन कराने से असर पड़ेगा, गुरूवासरी अमावस्या अथवा गुरुवार का व्रत रखें, पुखराज धारण करें।पीले वस्त्र, चने की दाल, कांस्य पात्र, शक्कर, केले, धार्मिक ग्रंथ आदि का दान करना फलदायक रहेगा। गुरु के बीज मंत्र का जाप करना फलदायक रहेगा और प्रत्येक गुरुवार केसर का तिलक लगाना भी शुभ रहेगा।
गुरु ग्रह का बीज मंत्र:-
।। ॐ ग्रा ग्री ग्रो स: गुरवे नमः ।।
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