हिन्दू कैलेंडर का कार्तिक महीना तीज त्योहारों से भरा होता है। इसी माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को लाभ पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को सौभाग्य पंचमी, ज्ञान पंचमी और लेचनी पंचमी के नाम से भी जाना जाता है।
वैसे तो लाभ पंचमी का पर्व पूरे भारत में मनाया जाता है परंतु यह गुजरात राज्य का एक लोकप्रिय त्यौहार है। गुजरात में लाभ पंचमी को 5 दिवसीय दीपावली उत्सव का समापन होता है। गुजराती नव वर्ष दीपावली के दूसरे दिन होता है अतः लाभ पंचमी का दिन गुजराती नववर्ष का पहला कामकाजी दिन होता है। गुजरात में अधिकतर व्यवसायी दिवाली के पश्चात लाभ पंचमी के दिन वापस अपने काम को प्रारंभ करते हैं। इस दिन भक्त धन और समृद्धि के लिए भगवान शिव, लक्ष्मी जी और भगवान गणेश जी की पूजा अर्चना करते हैं। इसी दिन व्यापारी गण, नया बही खाता प्रारम्भ करते है।
लाभ पंचमी का महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार लाभ पंचमी दिन भगवान गणेश की उपासना करने से सौभाग्य की प्राप्ती होती है। कार्तिक शुक्ल पंचमी के दिन जो जातक पूरे भक्ति भाव से भगवान शिव, माता लक्ष्मी और गणेश जी को पूजता है उसकी सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। कुछ जगहों पर दीपावली के दिन नए साल की शुरुआत होती है और सौभाग्य पंचमी वाले दिन व्यापार और कारोबार में तरक्की-विस्तार के लिए शुभ माना जाता है।
लाभ पंचमी 2020 दिनांक और शुभ मुहूर्त
दिनांक : 19 नवम्बर 2020
वार: बृहस्पतिवार
पंचमी तिथि प्रारम्भ : 18 नवम्बर 2020 को 11:16 पी एम बजे
पंचमी तिथि समाप्त : 19 नवम्बर 2020 को 09:59 पी एम बजे
लाभ पंचमी पूजा शुभ मुहूर्त : प्रातःकाल 06:47 ए एम से 10:20 ए एम
अवधि : 03 घण्टे 33 मिनट्स
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लाभ पंचमी पूजन विधि
- लाभ पंचमी के दिन प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर स्नान आदि से निवृत होकर सर्वप्रथम भगवान सूर्य देव को जलाभिषेक करें।
- इसके बाद भगवान शिव जी, लक्ष्मी जी और गणेश जी की प्रतिमा या तस्वीर को स्थापित कर पूजा प्रारम्भ करें। गणेश जी की प्रतिमा या तस्वीर ना हो तो सुपारी पर मौली लपेटकर चावल के अष्दल पर श्रीगणेश के रूप में विराजित कर सकते हैं।
- एक कलश स्थापित कर उसमें द्रव्य, अक्षत आदि डालकर उसको लाल वस्त्र से ढँकें।
- तत्पश्चात भगवान शिव जी को भस्म, बेलपत्र, धतूरा सफ़ेद अंगोछा अर्पित कर पूजा करें एवम भगवान गणेश जी की पूजा फल, फूल, चन्दन, अक्षत, दूर्वा आदि से करें। भगवान शिव जी को दूध से बने मिष्ठान एवम गणेश जी को मोदक का भोग लगाएं।
- भोलेनाथ, माता लक्ष्मी और भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए नीचे दिए मंत्रो का जाप करें।
शिव मंत्र
त्रिनेत्राय नमस्तुभ्यं उमादेहार्धधारिणे। त्रिशूलधारिणे तुभ्यं भूतानां पतये नम:।।
लक्ष्मी गायत्री मंत्र
ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥
गणेश मंत्र
लम्बोदरं महाकायं गजवक्त्रं चतुर्भुजम्। आवाहयाम्यहं देवं गणेशं सिद्धिदायकम्।।
- मन्त्र स्मरण के पश्चात धुप, दीप से आरती करें। आरती सम्पन्न होने पर भगवान से सुख, शांति और समृद्धि की कामना करें।
इस प्रकार लाभ-पंचमी की कथा सम्पन्न हुई। प्रेम से बोलिए भगवान शिव जी, माता लक्ष्मी एवं गणेश जी की जय।
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