ज्योतिषशास्त्र में सूर्य को सभी ग्रहों में सबसे शक्तिशाली माना जाता है। सूर्यदेव जब एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तो उस अवस्था को संक्रांति कहा जाता है। आज 14 मार्च 2021 को सूर्य गुरु की राशि मीन में सायं 18 बजकर 19मिनट पर प्रवेश कर रहे हैं। इसलिए इस दिन को मीन संक्रांति(Meena Sankranti) पर्व के रूप में मनाया जा रहा है। मीन संक्रांति के दिन से मलमाह या खरमास का आरंभ होता है। मलमास की अवधि में मांगलिक कार्य जैसे नामकरण, विद्या आरंभ, उपनयन संस्कार, विवाह संबंधी कार्य, गृह प्रवेश आदि नहीं किए जाते हैं। मीन संक्रांति के दिन पवित्र नदी में स्नान और दान का विशेष महत्व है। इस त्योहार को ओडिशा में बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
मीन संक्रांति के दिन का शुभ मुहूर्त
मीन संक्रान्ति पुण्य काल – 06:18 पी एम से 06:29 पी एम
अवधि – 11 मिनट्स
मीन संक्रान्ति महा पुण्य काल – 06:18 पी एम से 06:29 पी एम
अवधि – 11 मिनट्स
मीन संक्रांति का महत्व
शास्त्रों में मीन संक्रांति का महत्व बताते हुए कहा गया हैं कि इस दिन से सूर्य के उत्तरायण होने से दिन का समय बढ़ जाता है और रात्रि छोटी होने लगती है। मीन संक्रांति का प्रकृति की दृष्टि से भी विशेष महत्व है। यह वह समय होता है जब प्रकृति में नया सृजन होता है। इस दौरान उपासना, ध्यान और योग करना लाभकारी माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान सूर्य की उपासना करने और अर्घ्य देने से नकारात्मकता दूर होती है।
क्या करें क्या ना करें
मान्यता है कि इस दिन गंगा, यमुना आदि पवित्र नदियों पवित्र नदियों में स्नान करने से समस्त पाप धुल जाते हैं। यदि इन पवित्र नदियों में स्नान संभव न हो तो घर में जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें और सूर्यदेव से अच्छे स्वास्थ्य की प्रार्थना करें। इस दिन बुजुर्गों की आत्मा शांति के लिए पूजा करें। ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र आदि का दान करें। इस दिन भूमि का दान करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
खरमास में विवाह, गृह प्रवेश आदि जैसे मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार खरमास में सूर्य ग्रह देवगुरु बृहस्पति की सेवा में रहते हैं। इस वजह से इस माह में मांगलिक कर्म करने से बचना चाहिए।
मीन संक्रान्ति फलम्
- विद्वान और शिक्षित लोगों के लिए यह संक्रान्ति अच्छी है।
- वस्तुओं की लागत सामान्य होगी।
- भय और चिन्ता लाती है।
- लोग खांसी और ठण्ड से पीड़ित होंगे, राष्ट्रों के बीच संघर्ष होगा और बारिश के अभाव में अकाल की सम्भावना बनेगी।
मीन संक्रांति की पूजा-विधि- Rituals of Meena Sankranti
- इस दिन सूर्योदय से पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठ स्नान कर सूर्यदेव की पूजा करनी चाहिए।
- पानी में लाल चंदन मिलाकर तांबे के लोटे से सूर्य को जल अर्पण करें और साथ ही रोली, हल्दी व सिंदूर मिश्रित जल से सूर्यदेव को अर्घ्य दें।
- इसके बाद सूर्य देव को लाल फूल चढ़ाएं।
- सूर्यदेव को गुड़ से बने हलवे का भोग लगाएं।
- इसके बाद लाल चंदन की माला से ॐ भास्कराय नमः मंत्र का जाप करें।
- पूजन के बाद नैवेद्य चढ़ायें और उसे प्रसाद के रूप में बांट दें।
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