Pradosh Vrat वर्ष 2021 का पहला प्रदोश व्रत है। यह समय शिव पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ होता है। ऐसा माना जाता है कि प्रदोष के समय शिवजी प्रसन्नचित मनोदशा में होते हैं। पंचांग के अनुसार, प्रति माह दो बार त्रयोदशी तिथि आती है एक कृष्ण पक्ष और दूसरी शुक्ल पक्ष में और उसी दिन प्रदोष व्रत किया जाता है। प्रदोष व्रत को प्रदोषम के नाम से भी जाना जाता है। सनातन धर्म में इस व्रत को बड़ा पवित्र व्रत माना जाता है। हिन्दू पुराणो के अनुसार कलयुग में व्रत करना अति उत्तम, लाभदायक और मंगलकारी बताया गया है। प्रदोष व्रत करने से भक्त को भोलेनाथ की कृपा से उत्तम स्वास्थ्य और जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat)
जिस दिन त्रयोदशी तिथि प्रदोष काल के समय व्याप्त होती है उसी दिन प्रदोष का व्रत किया जाता है। प्रदोष काल सूर्यास्त से प्रारम्भ हो जाता है। जब त्रयोदशी तिथि और प्रदोष साथ-साथ होते हैं वह समय शिव भक्ति के लिए सर्वश्रेष्ठ होता है।
प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त
मास – पौष
तिथि – कृष्ण त्रयोदशी
प्रारम्भ – 10 जनवरी 2021 04:52 पी एम
समाप्त – 11 जनवरी 2021 02:32 पी एम
प्रदोष काल – 10 जनवरी 2021 05:42 पी एम से 08:25 पी एम
प्रदोष व्रत का महत्व (Significance Of Pradosh Vrat)
प्रदोष व्रत में भगवान शिव का रुद्राभिषेक और उनका श्रृंगार करने का बहुत ही महत्व है। प्रदोष वाले दिन महादेव की पूजा अर्चना से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। विवाह में आ रही अड़चनें दूर होती है। संतान की इच्छा रखने वाले लोगों को इस दिन पंचगव्य से महादेव का अभिषेक करना चाहिए। जिन्हें लक्ष्मी प्राप्ति और कारोबार मे सफलता की कामना हो उन्हें दूध से अभिषेक करने के बाद शिवलिंग पर फूलों की माला अर्पित करनी चाहिए। इस पूजा से उन्हें प्रत्येक काम में सफलता प्राप्त होगी।
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प्रदोष व्रत के नाम और उनका महत्व ( Type & Significance of pradosh vrat)
सप्ताह के अलग-अलग दिन त्रयोदशी तिथि होने पर प्रदोष व्रत का नाम और फल भी भिन्न-भिन्न होता है।
रवि प्रदोष : त्रयोदशी तिथि अगर रविवार को हो उस दिन किए जाने वाले प्रदोष व्रत को रवि प्रदोष कहते हैं। इस प्रदोष व्रत को करने से भक्त के रोगों का नाश होता है और वो दीर्घायु होता है।
सोम प्रदोष या सौम्य प्रदोषम : त्रयोदशी तिथि अगर सोमवार को हो तो उस दिन किए जाने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष या सौम्य प्रदोषम के नाम से जाना जाता है। सोमवार दिन शिव जी को समर्पित होने के कारण इस दिन व्रत करने से जातक की सम्पूर्ण मनोकामनायें पूर्ण होती हैं।
भौम प्रदोष: त्रयोदशी तिथि अगर मंगलवार को हो तो उस दिन किए जाने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष के नाम से जाना जाता है। उस व्रत को करने से जातक को शारीरिक और मानसिक बल प्राप्त होता है।
बुध प्रदोष: त्रयोदशी तिथि अगर बुधवार को हो तो उस दिन किए जाने वाले प्रदोष व्रत को बुध प्रदोष या बुध प्रदोषम कहते हैं। इस व्रत को करने से जातक की सभी इच्छायें पूर्ण होती है।
गुरु प्रदोष: त्रयोदशी तिथि अगर गुरुवार यानी बृहस्पतिवार को हो तो उस दिन किए जाने वाले प्रदोष व्रत को गुरु प्रदोष कहते हैं। इस व्रत को करने से जातक के शत्रुओं का नाश होता है और वो उन पर विजय प्राप्त करता है।
शुक्र प्रदोष: त्रयोदशी तिथि अगर शुक्रवार को हो तो उस दिन किए जाने वाले प्रदोष व्रत को शुक्र प्रदोष के नाम से जाना जाता है। इस व्रत को करने से जातक के सौभाग्य में व्रद्धि होती है और उसे धन-संपदा को प्राप्ति होती है।
शनि प्रदोष: त्रयोदशी तिथि अगर शनिवार को हो तो उस दिन किए जाने वाले प्रदोष व्रत को शनि प्रदोष कहते हैं। इस व्रत को करने से संतान की अभिलाषा रखने वाले जातक को संतान की प्राप्ति होती है।
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