हमारे धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि मनुष्य का शरीर वायु, अग्नि, पृथ्वी, जल और आकाश से मिलकर बना है और इन सभी में जल को सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना गया है, क्योंकि जल जीवन प्रधान तत्व है। हिंदू धर्म में हर पूजा में कलश और कलश में जल रखना अनिवार्य होता है। जल के स्वामी वरुणदेव और भगवान श्रीगणपति को माना गया है। यदि किसी के कुंडली राहु की महादशा हो या शनि अशुभ फल दे रहा है तो जल के उपाय ही बहुत काम आते हैं। इतना ही नहीं मांगलिक दोष और केतु व ग्रहों के दुष्प्रभाव से बचने के लिए भी जल का प्रयोग अचूक लाभ प्रदान करता है। तो चलिए जानें कि ग्रहों के बुरे प्रभाव से बचने के लिए जल का प्रयोग कैसे करें।
- यदि आपकी कुंडली में राहु बुरे फल दे रहा या उसकी महादशा चल रही है तो आपको राहु के उपाय जरूर करने चाहिए। राहु का कष्ट नर्क भोगने जैसा होता है। जीवन का शायद ही कोई कष्ट हो जो राहु की महादशा में भोगने को नहीं मिलता, लेकिन राहु के कष्ट से मुक्ति के लिए एक ही उपाय काम आता है। इसके लिए किसी कांटे वाले पौधे में रोज एक लोटा जल देने की आदत डाल लें। ये एक उपाय बहुत असरदार होता है।
- शनि दोष से यदि आप जूझ रहे हैं तो आपको जल के उपाय जरूर आजमाने चाहिए। शनि दोष दूर करने के लिए लोटे में जल लें और उसमें कुछ बूंदें सरसों के तेल डाल दें। इसके बाद इसमें कोई भी नीले रंग का फूल भी डाल कर उसे शाम के समय पीपल के पेड़ की जड़ में डाल दें। साथ ही जल अर्पित करने के बाद एक दीप जला कर वहां हनुमान चालीसा का पाठ कर लें।इस उपाय से भी शनि का दोष दूर हो सकता है और परेशानियां कम हो सकती हैं।
- यदि आप मांगलिक दोष से ग्रस्त हैं तो आपके लिए जल के उपाय किसी वरदान से कम नहीं हैं। मांगलिक दोष को दूर करने के लिए एक लोटे में पानी लेकर उसमें चंदन, तुलसी, दूध और शहद मिलाकर किसी फलदार पेड़ चढ़ाएं। इससे मांगलिक दोष में कमी आ सकती है।
- यदि कुंडली में राहु और केतु दोनों या दोनों में से किसी एक का भी बुरा प्रभाव मिल रहा हो तो शिवलिंग पर तांबे के लोटे से जल और वही जल अपने शरीर पर छिड़कें। इससे राहु-केतु से जुड़े दोष दूर होते हैं।
- रोज सुबह भगवान सूर्य को तांबे के लोटे से जल चढ़ाने से चेहरे का तेज और आत्मविश्वास बढ़ने के साथ ही सफलता भी मिलने लगती है।
जल के ये उपाय भले ही आपको बहुत साधारण लगते होंगे, लेकिन इसका असर इतना प्रभावी होता है कि ग्रहों तक को अपनी चाल बदलनी पड़ती है जिससे ग्रहों के दुष्प्रभाव कम हो जाते हैं।
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